साहित्य संहिता पत्रिका में प्रकाशन करने के लिए आप निम्नलिखित मेल id पर अपनी लेख या शोध पत्र भेज सकते है.
hindi@sahityasamhita.org
साहित्य संहिता जर्नल का वेबसाइट है
https://www.sahityasamhita.org/index.php/ss
साहित्य संहिता एक मासिक पत्रिका है. यह एक peer reviewed जर्नल के अंतर्गत आता है. यह एक ऑनलाइन जर्नल है. इस जर्नल में प्रकाशित लेख तथा शोध पत्र आप जब चाहे ऑनलाइन पढ़ सकते है. यह एक अच्छी पहल है.
‘साहित्य संहिता ’ का आरंभ हम हिंदी भाषा और साहित्य में शोध जॉर्नल के रूप में किया गया हैं। इस जॉर्नल के आरंभ के मूल में हिंदी शोध के स्तर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और मान्यता दिलाने का लक्ष्य है। यह पत्रिका निशुल्क है, जो निश्चय ही शोघार्थियों और अध्यापकों के लिए उपादेय होगी। हिंदी की अकादमिक दुनिया में इस प्रकार के जॉर्नल की व्यावहारिक आवश्यकता भी है। प्रायः यह देखा गया है कि हिंदी के क्षेत्र में शोध जॉर्नल लगभग नहीं के बराबर हैं और जो एक-दो हैं भी तो उनके प्रबंधकों ने जॉर्नल प्रकाशन को धंधा बना लिया है। जब से ’यूजीसी’ ने नियुक्तियों और पदोन्नति में ‘ए.पी.आई.’ स्कोर व्यवस्था आरंभ की है, तब से तो यह धंधा दिन दूना और रात चौगुना फल-फूल रहा है। हिंदी भाषा और साहित्य के अध्ययन और शोध से जुड़े लोगों के लिए अपने शोध कार्य को अकादमिक जगत के सामने लाने का एक खुला अवसर इस जॉर्नल के माध्यम से प्राप्त हो सकता है। जहां हिंदी पत्रिकाओं और जॉर्नल प्रकाशन में बनिया प्रवृत्ति देखने को मिलती है, वहीं दूसरी ओर हिंदी पट्टी की जातिवादी-पितृसत्तावादी मानसिकता यहां भी परिलक्षित होती है। दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और स्त्री विमर्श जैसे विषयों से संबद्ध शोध पर पहले तो ब्राह्मणवादी मानसिकता के आचार्यगण अनुमति ही नहीं देते। अगर जैसे-तैसे शोधार्थी इन विषयों करने का जोखिम उठा भी लेता है, तो फिर उसके प्रकाशन का तो वह सपना ही देखता रह जाता है।