भारत के कई मशहूर और सदाबहार गीतकारों में से एक सर्वश्रेष्ठ गीतकार थे मुकेश। गायकी की इस रंगीन दुनिया में आज भी उनका नाम शुमार है।
अपने गीतों के माध्यम से सभी का मन
मोह लेने वाले गायक मुकेश को चाहने वाले ना सिर्फ देश में थे बल्की विदेश में भी उनकी
गायकी के लोग बहुत दीवाने थे। आज भी लोग उनके गीतों को सुनना और शौक से गुनगुनाना बहुत पसंद करते हैं। दर्द भरे गीतों के बेताज बादशाह कहे जाने वाले
गायक मुकेश ने कई सारे ऐसे गीत गाए हैं जो आज भी सदाबहार हैं।
‘सावन का महीना’, ‘कभी-कभी मेरे दिल में’, ‘जाने
कहां गए वो गीत’ इन गीतों को आज भी शादी की ऑर्केस्ट्रा नाइट, घरों आदि में सुना जाता है।
जीवन परिचय
गायक मुकेश पेशे से एक इन्जीनियर के घर में पैदा हुए थे । उनका पूरा नाम मुकेश चंद्र माथुर था। उनका जन्म 22 जुलाई, 1923 को दिल्ली में हुआ था।
गायक मुकेश का विवाह 23 वर्ष की
उम्र में सरल त्रिवेदी नाम की 18 वर्ष की लड़की के साथ हुआ था। मुकेश और सरल की
शादी 1946 में हुई थी उनका एक बेटा और
दो बेटियाँ हैं, जिनके नाम नितिन, रीटा और नलिनी है। मुकेश के पोते ‘नील
नितिन मुकेश’ बॉलीवुड के चर्चित अभिनेताऔं में से एक हैं।
फिल्म जगत में एंट्री
मुकेश की सुरीली आवाज़ की खूबी
को उनके एक दूर के रिश्तेदार मोतीलाल ने पहचाना था।, जब
उन्होंने उन्हें अपनी बहन की शादी में गाते हुए सुना। मोतीलाल उन्हें बम्बई ले गये
और अपने घर में रहने को दिया और साथ ही उन्होंने मुकेश के लिये रियाज़ का पूरा
इन्तज़ाम भी किया। इसी के साथ सुरों के बादशाह मुकेश ने सन् 1941 में अपनी गायकी का सफर शुरू किया।
मुकेश ने बॉलीवुड में ‘दिल जलता है तो जलने दो’ के रूप में
पहला गीत गाया था। यह गीत उन्होंने फिल्म निर्दोष के लिए सन् 1941 में गाया था।
इसी फ़िल्म में मुकेश ने अदाकारी करने के साथ-साथ गाने भी खुद गाए । तब किसी को भी
इस बात का अंदाजा नहीं था कि एक्टिंग की बजाय उनकी आवाज को अधिक पसंद किया जाएगा। इसके अतिरिक्त उन्होंने ‘माशूका’, ‘आह’, ‘अनुराग’ और ‘दुल्हन’ में भी बतौर अभिनेता काम किया।
अभिनेताओं की बने आवाज
मुकेश कई सारी फिल्मों में मशहूर अभिनेता राज कपूर की आवाज
बने जिसमें आवारा, मेरा नाम जोकर, संगम, श्री 420 आदि शामिल हैं। उन्होंने मनोज कुमार, फिरोज गांधी, सुनील दत्त आदि के लिए भी अपनी आवाज दी
है।
पुरस्कार
और सम्मान
1959 – फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- सब कुछ सीखा हमनें
(अनाड़ी)
1970 – फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- सबसे बड़ा नादान वही
है (पहचान)
1972 – फ़िल्मफ़ेयर
पुरस्कार- जय बोलो बेइमान की जय बोलो (बेइमान)
1974 – नेशनल पुरस्कार- कई बार यूँ भी देखा है (रजनी
गंधा)
1976 – फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार- कभी-कभी मेरे दिल में
ख्याल आता है (कभी कभी)
गायक
मुकेश का निधन
गायक मुकेश का निधन 27 अगस्त,
1976 को 53
वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमरीका में दिल का दौरा पड़ने के कारण हुआ
। मुकेश अपने गीतों के माध्यम से अपने चाहने वालो के दिल में हमेशा जीवित रहेंगे ।
उनके गाए हुए गीत हम सभी को प्रेरणा देते हैं। 1940 से 1970 के बीच के कई नगमों को सुरीला बनाने वाले
इस कलाकार को युगो युगो तक याद रखा जाएगा।