Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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इस्मत चुग़ताई : अपनी रचनाओं में स्त्री मन की जटिल गुत्थियां सुलझाती एक सशक्त उर्दू कहानीकार

उन पर अश्लीलता का मामला चलाहालाँकि यह मामला बाद में वापस ले लिया गया। आलोचकों के अनुसार उनकी कहानियों में समाज के विभिन्न पात्रों का आईना दिखाया गया है।


 


उर्दू  और भारतीय साहित्य में सशक्त और चर्चित कहानीकार के रूप में इस्मत चुगताई का नाम सबसे पहले आता है। वे एसी कहानीकार है जिन्होंने आज से करीब 70 साल पहले महिलाओं से जुड़े मुद्दों को अपनी रचनाओं में बेबाकी से उठाया और पुरुष प्रधान समाज में उन मुद्दों को चुटीले और संजीदा ढंग से पेश करने का जोखिम भी उठाया।

 

जीवन परिचय

इस्मत चुग़ताई का जन्म: 15 अगस्त 1915, बदायूँ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था| वे दस भाई बहन थे जिसमें छ: भाई और चार बहनों में इस्मत नौंवी नंबर की थी।

इस्मत चुग़ताई  ने निम्न मध्यवर्गीय मुस्लिम तबक़ें की दबी-कुचली सकुचाई और कुम्हलाई लेकिन जवान होती लड़कियों की मनोदशा को उर्दू कहानियों और उपन्यासों में पूरी सच्चाई से बयान किया है। उनकी कहानी लिहाफ़ के लिए लाहौर हाईकोर्ट में उनपर मुक़दमा चला। जो की बाद में ख़ारिज हो गया। 

उनकी रचनाओं में स्त्री मन की जटिल गुत्थियां सुलझती दिखाई देती हैं। महिलाओं की कोमल भावनाओं को जहां उन्होंने उकेरा, वहीं उनकी गोपनीय इच्छाओं की परतें भी खोलीं। इस्मत ने समाज को बताया कि महिलाएं सिर्फ हाड़-मांस का पुतला नहीं, उनकी भी औरों की तरह भावनाएं होती हैं। वे भी अपने सपने को साकार करना चाहती हैं। 

 

लिहाफ

 इस्मत चुग़ताई अपनी 'लिहाफ' कहानी के कारण बहुत मशहूर हुईं। 1941 में लिखी गई इस कहानी में उन्होंने महिलाओं के बीच समलैंगिकता के मुद्दे को उठाया था। उस दौर में किसी महिला के लिए यह कहानी लिखना एक दुस्साहस का काम था। इस्मत को इस दुस्साहस की कीमत चुकानी पड़ी, क्योंकि उन पर अश्लीलता का मामला चला, हालाँकि यह मामला बाद में वापस ले लिया गया। आलोचकों के अनुसार उनकी कहानियों में समाज के विभिन्न पात्रों का आईना दिखाया गया है।

 

लेखन  कार्य

अपनी शिक्षा पूरी करने के साथ ही इस्मत चुग़ताई लेखन क्षेत्र में आ गई थीं। उन्होंने अपनी कहानियों में स्त्री चरित्रों को बेहद संजीदगी से उभारा और इसी कारण उनके पात्र ज़िंदगी के बेहद क़रीब नजर आते हैं। इस्मत चुग़ताई ने ठेठ मुहावरेदार गंगा-जमुनी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसे हिन्दी-उर्दू की सीमाओं में क़ैद नहीं किया जा सकता। उनका भाषा प्रवाह अद्भुत था। इसने उनकी रचनाओं को लोकप्रिय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

24 अक्टूबर, 1991 को इस महान कहानीकार ने दुनिया को अलविदा कहा था।

 

मुख्य कृतियाँ

 

कहानी संग्रह :

1. चोटें, छुई-मुई, एक बात, कलियाँ, एक रात, दो हाथ दोज़खी, शैतान

उपन्यास :

1. टेढ़ी लकीर, जिद्दी, एक कतरा-ए-खून, दिल की दुनिया, मासूमा, बहरूप नगर, सौदाई, जंगली कबूतर, अजीब आदमी, बाँदी

आत्मकथा :

1. कागजी है पैरहन

2. पुरस्कार/सम्मान

3. 1974- गालिब अवार्ड, टेढ़ी लकीर पर

साहित्य अकादमी पुरस्कार :

1. इक़बाल सम्मान’

2. मखदूम अवार्ड

3. नेहरू अवार्ड