सुनील छेत्री जब साल 2012 में पुर्तगाल के क्लब स्पोर्टिंग लिस्बन से जुड़े थे तो उस टीम के हेड कोच ने उनकी बेइज्जती की थी।
भारतीय फुटबॉल
टीम के कप्तान सुनील छेत्री का जन्म 1984 में आज ही के दिन तेलंगाना में हुआ था । वो भारत के लिए सबसे
ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी हैं। 2007
में पाकिस्तान के खिलाफ अपने इंटरनेशनल करियर का
आगाज करने वाले सुनील छेत्री को अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले।
आज भले ही छेत्री भारतीय फुटबॉल के स्टार हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें टीम के कोच ने नाकाम खिलाड़ी तक कह दिया था।
आइए आपको बताते हैं फुटबॉल टीम के कप्तान के बारे
में चार बड़ी बातें।
सुनील छेत्री अपने इंटरनेशनल करियर में 118 मैचों में 74 गोल दागने वाले खिलाड़ी हैं। उनका प्रति मैच गोल औसत 0.63 है जो कि रोनाल्डो और मेसी से भी अच्छा है। रोनाल्डो का प्रति मैच गोल औसत
0.61 है, जबकि मेसी अर्जेंटीना के लिए
प्रति मैच 0.5 गोल करते हैं। वैसे मौजूदा खिलाड़ियों में
सबसे ज्यादा इंटरनेशनल गोल के मामले में रोनाल्डो 109 गोल के
साथ पहले नंबर पर हैं। यूएई के अली मबखाउत और लियोनेल मेसी 76 गोलों के साथ दूसरे और सुनील छेत्री तीसरे नंबर पर हैं।
सुनील छेत्री को ये खेल विरासत में ही मिला है। उनकी
मां सुशीला छेत्री और उनकी दो जुड़वा बहनें इंटरनेशनल फुटबॉलर रह चुकी हैं। सुनील छेत्री की मां और उनकी बहनें नेपाल नेशनल
फुटबॉल टीम की सदस्य रह चुकी हैं।
सुनील छेत्री जब साल 2012 में पुर्तगाल के क्लब स्पोर्टिंग लिस्बन से जुड़े थे तो उस
टीम के हेड कोच ने उनकी बेइज्जती की थी। सुनील छेत्री ने एक इंटरव्यू में बताया कि कोच
ने उनकी काबिलियत पर सवाल उठाते हुए उन्हें ए टीम से बी टीम में भेजने की बात कही
थी। सुनील छेत्री 9 महीने
तक क्लब के साथ जुड़े रहे जिसमें उन्हें महज 5 मैच खेलने का
मौका मिला। छेत्री अमेरिका के कन्सास सिटी विजार्ड्स से भी 2010 में जुड़े थे हालांकि एक साल के अंदर ही वो भारत लौट आए थे।
सुनील छेत्री भारत के लिए 50 गोल दागने वाले पहले खिलाड़ी बने और
वो 6 बार ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के प्लेयर ऑफ द ईयर
अवॉर्ड जीत चुके हैं। सुनील छेत्री ने साल 2007 में सबसे
पहले इस सम्मान को हासिल किया। इसके बाद 2011, 2013, 2014, 2017 और 2018-19 में वो एक बार फिल प्लेयर ऑफ द ईयर बने।