वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2021 की थीम है- ‘स्तनपान की सुरक्षा: एक सहभागितापूर्ण जिम्मेदारी’ ( Protect Breastfeeding: A Shared Responsibility)।
हर साल 1 अगस्त
से लेकर 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह (
World Breastfeeding Week) मनाया जाता है। साल 1991 में इसे पहली बार मनाया गया था। उस समय से हर साल अगस्त महीने के पहले सप्ताह
में इसे मनाया
जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य स्तनपान को बढ़ावा देना है और साथ ही महिलाओं को
स्तनपान कराने के प्रति जागरूक करना है। मां का दूध शिशुओं के लिए अमृत समान होता
है। इसके सेवन से शिशु कुपोषण और अतिसार से सुरक्षित और संरक्षित रहता है। स्तनपान
कराने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और प्री-मोनोपोजल गर्भाशय के कैंसर जैसी
बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा, यह अनुमान लगाया गया है कि ब्रेस्टफीडिंग
से हर साल ब्रेस्ट कैंसर के कारण 20,000 मातृ मृत्यु को रोका
जा सकता है।
विश्व स्तनपान सप्ताह मनाए जाने की शुरुआत
स्तनपान को प्रोत्साहित करने और दुनिया भर में शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के
लिए इनोसेंटी डिक्लेरेशन से हुई , जिस पर अगस्त 1990 में
सरकारी नीति निर्माताओं, डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ
और अन्य संगठनों द्वारा स्तनपान की रक्षा,
प्रचार और समर्थन करने के लिए
हस्ताक्षर किए गए थे। इसी लिए विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है।
वर्ल्ड
ब्रेस्टफीडिंग वीक 2021 की थीम:
वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2021 की
थीम है- ‘स्तनपान की सुरक्षा: एक सहभागितापूर्ण जिम्मेदारी’ ( Protect Breastfeeding: A Shared Responsibility)। दरअसल, इस
थीम के पीछे यह उद्देश्य है कि लोगों को ब्रेस्टफीडिंग के फायदे बताए जाएं और इसके
महत्व को समझाया जाए।
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शिशु को ब्रेस्टफीडिंग
कराने वाली माताओं के ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे को वायरस और
बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। ब्रेस्टफीडिंग से शिशुओं में अस्थमा या
एलर्जी का खतरा भी कम होता है साथ ही इसके अलावा, जिन शिशुओं को पहले छह महीनों तक बिना किसी
फॉर्मूले के विशेष रूप से ब्रेस्टफीडिंग कराई जाती है उनमें कान में संक्रमण,
श्वसन संबंधी बीमारियां और दस्त के लक्षण कम होते हैं। 6 महीने की उम्र तक विशेष रूप से नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने की सलाह दी
जाती है।
डब्ल्यूएचओ के
अनुसार, स्तनपान न केवल
बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह माताओं के स्तन कैंसर,
डिम्बग्रंथि के कैंसर, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग के विकास के जोखिम को भी कम करता है।