Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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Essay On Book Fair In Hindi

संकेत बिंदु:

  • पुस्तकें ज्ञान का भंडार
  • पुस्तक मेलों का उद्देश्य
  • बढ़ती लोकप्रियता
  • उपयोगिता
  • ज्ञान के आलोक को फैलाने में पुस्तक मेलों का योगदान।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

पुस्तकें ज्ञान का भंडार होती हैं। इनमें हर तरह का ज्ञान भरा होता है। ये मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र होती हैं। पुस्तकें सच्चे पथप्रदर्शक का काम करती हैं जो मनुष्य को गलत राह पर चलने से सदैव रोकती हैं। जनसाधारण तक ये सुगमता से पहुँच सकें, इसके लिए समय-समय पर पुस्तक मेलों का आयोजन किया जाता है।

लोगों की पुस्तकों से निकटता बढ़ाने के लिए, उनमें पठन की अभिरुचि पैदा करने के उद्देश्य से पुस्तक और पाठकों के मध्य दूरी कम करना आवश्यक है। इसके अलावा पुस्तकें छपकर यदि दुकानों तक सीमित रह जाती हैं या पुस्तक केंद्रों की शोभा बढ़ाती हैं तो आम आदमी उनसे अनभिज्ञ ही रह जाता है। ऐसे में पुस्तकों का प्रचार-प्रसार करना जरूरी हो जाता है। इस उद्देश्य के पूर्ति में पुस्तक मेले महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अब ऐसे मेलों की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।

पुस्तक मेले कितने उपयोगी हैं? इस पर दो राय हैं। पहली राय यह कि ये मेले दिखावा बनकर रह जाते हैं। पाठक वर्ग इन तक नहीं पहुँचता है। ये मेले वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति में सफल नहीं हो पाते हैं। इसके विपरीत दूसरी राय यह है कि पुस्तक मेले अत्यंत उपयोगी होते हैं। जनसाधारण तक पुस्तकें पहुँचाने, पुस्तकों के विज्ञापन प्रकाशकों की बिक्री बढ़ाने का, ये सशक्त माध्यम हैं।

मेरे विचार से पुस्तक मेलों का आयोजन अत्यंत उपयोगी होता है। कई बार ऐसा होता है कि एक पुस्तक को खोजने के लिए हमें बाज़ार की कई दुकानों पर चक्कर लगाना पड़ता है। उपलब्ध न होने पर किसी अन्य बाज़ार में चक्कर लगाना पड़ता है। पुस्तक मेलों में एक ही प्रयास में विभिन्न प्रकाशकों, लेखकों, सुविख्यात विचारकों की पुस्तकें मिल जाती हैं।

यहाँ देश के ही नहीं विदेश के प्रकाशक भी अपना स्टॉल लगाते हैं, जिससे दुर्लभ पुस्तकें भी मिल जाती हैं। इतना ही नहीं ग्राहकों को लुभाने और अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए वे विशेष छूट भी देते हैं। ऐसे में पाठकों और क्रेताओं को दोहरा लाभ होता है।

पुस्तक मेलों का आयोजन और भी उपयोगी एवं लोकप्रिय हो सकता है, यदि इन्हें शहर में अनेक जगहों पर आयोजित किया जाए तथा इनके आयोजन के पूर्व संचार माध्यमों से विधिवत लोगों को जानकारी दी जाए। पुस्तकों को कम-से-कम मूल्य पर बेचा जाए, जिसमें प्रकाशकों को भी घाटा भी न हो और पाठकों को लाभ भी मिल जाए।

पुस्तक मेलों की उपयोगिता निस्संदेह है। गरीब विद्यार्थियों और पाठकों के लिए इनकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। ज्ञान का आलोक फैलाने के लिए ऐसे मेलों का आयोजन किया जाना आवश्यक है।