प्रस्तावना– कवि दिनकर कहते हैं- “नव्य नर की मष्टि में विकराल, हैं सिमटते जा रहे प्रत्येक क्षण दिक्काल।” आज का महत्त्वाकांक्षी मानव देश और काल की सीमा…
Read moreमानव जीवन की चार अवस्थाओं में से ब्रह्मचर्य आश्रम जन्म से लेकर 25 वर्ष तक की आयु के काल को कहा जाता है। यही जीवन विद्यार्थी जीवन भी है। प्राचीन काल म…
Read moreजिंदगी भी बड़ी अजीब है, हमें हंसाती है रुलाती है, प्यार करे तो नफरत करना भी सिखाती है। इस दुनिया में समय बदल गया है और लोगों की सोच भी, लेकिन फिर भ…
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