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Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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26 जनवरी 2022 को देश-भर में मनाया गया 73वा गणतंत्र दिवस


हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है और यह राष्ट्रीय पर्व सभी भारतियों के द्वारा बेहद खुशी तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व लोकतंत्रात्मक गणराज्य होने के महत्व को सम्मान देने के लिये मनाया जाता है तथा इस दिन को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित किया गया है। आज के दिन पुरे देश भर में सभी स्कूलों में कॉलेजों तथा अन्य शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।


गणतंत्र दिवस का इतिहास :- देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया. इस घोषणा के 6 मिनट बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को भारतीय गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई थी।सन् 1929 के दिसंबर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ था जिसके अंदर प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा करी गई थी कि यदि अंग्रेज़ो की फिरंगी सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्तयोपनिवेश (डोमीनियन) का पद नहीं प्रदान करती है, जिस के अनुसार भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित एकाई बन जाये उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया। उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था। परंतु इसके पश्चात स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन अर्थात 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया था।








भारत के स्वतंत्र हो जाने के बाद हीक्षसंविधान सभा की घोषणा हुई और इसके द्वारा अपना कार्य 9 दिसम्बर 1947 को आरंभ कर दिया गया था। संविधान सभा के सदस्य जो थे, वो भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। और तब देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया. इस घोषणा के 6 मिनट बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को भारतीय गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई थी।










सविधान सभा के सदस्यगण :- हमारे सविधान सभा के सदस्यों में शामिल थे, डॉ० भीमराव अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान निर्माण में कुल 22 समितीयाँ बनाई गयी थी जिसमें प्रारूप समिति (ड्राफ्टींग कमेटी) सबसे प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण समिति थी और इस समिति का कार्य संपूर्ण ‘संविधान लिखना’ या ‘निर्माण करना’ तय किया गया था। प्रारूप समिति के अध्यक्ष विधिवेत्ता डॉ० भीमराव आंबेडकर थे।









प्रारूप समिति ने और उसमें विशेष रूप से डॉ. आंबेडकर जी ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण किया और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान सुपूर्द किया, इसलिए 26 नवंबर दिवस को भारत में संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है। संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की इसकी इन बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 284 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किये। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया। 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई थी।











इस बार क्या रहा गणतंत्र दिवस में खास :- इस बार के गणतंत्र दिवस में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सलामी देने के बाद राजपथ पर कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी, उसके बाद सेना के तीनों अंगों ने अर्थात थल सेना, वायु सेना और जल सेना ने अपनी क्षमताओं का अद्भुत प्रदर्शन किया. साथ ही देश के सभी राज्यों, मंत्रालयों एवं विभागों ने अपनी-अपनी झाँकी का राजपथ पर बेहद उत्तम प्रदर्शन किया था वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम की शुरुआत से पहले नेशनल वार मेमोरियल परज्ञपहुंच कर श्रद्धांजलि अर्पण करी थी. प्रथम बार अमर शहीदों को नेशनल वार मेमोरियल पर श्रद्धांजलि अर्पित कि गई। यहाँ पर पहली बार भारतीय वायुसेना के पायलटों ने भारतीय नेवी के साथ मिलकर प्रदर्शन किया था, वहीं राफेल लड़ाकू विमान, दो जगुआर, दो मिग-29 यूपीजी और दो सु-30 एमआई ने बाज फॉर्मेशन में रोंगटे खड़े़ कर देने वाला शानदार प्रदर्शन किया था तथा राजपथ पर आज पहली बार मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन की झांकी का प्रदर्शन हुआ.









जिसमें उड़ान योजना को प्रदर्शित किया गया वहीं  मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस की झांकी एक मुट्ठी आसमां पर आधारित रही और इसमें एक रोबोटिक हाथ को दिखाया गया. इसमें लोक अदालतों के जरिए झगड़ो के निपटारे के फायदे को दिखाया गया तथा डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट ने अपनी झांकी में महिला सशक्तिकरण की थीम पर पेश किया. जिसमें कि भारतीय पोस्ट पेमेंट्स बैंक एवं पोस्ट ऑफिस सेविंग्स बैंक में करीब 50 फीसदी खाते महिलाओं के थे इसके अतिरिक्त पंजाब ने झांकी में आजादी की लड़ाई में राज्य के योगदान को जगह दी. इसमें भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को दिखाया गया. इसके अलावा इसमें साइमन कमीशन के खिलाफ लाला लाजपत के विरोध प्रदर्शन और माइकल डायर को शूट करते हए उधम सिंह को भी दिखाया गया था, स्वदेशी गन सिस्टम 75/24 पैक होवित्जर एमके-I का प्रदर्शन, सेंचुरियन टैंक, पीटी-76, एमबीटी अर्जुन एमके-1 और एपीसी टोपाज की टुकड़ी का प्रदर्शन, तीन बार की रिपब्लिक डे परेड विनर असम रेजिमेंट के दल ने भी राजपथ पर प्रदर्शन किया था .








यह टुकड़ी उत्तर-पूर्व के सात राज्यों से सैन्य दल का प्रतिनिधित्व कर रही थी सिख लाइट इंफैंटरी टुकड़ी ने भी राजपथ की परेड में हिस्सा लिया था आर्मी प्रमुख जनरल एमएम नरावणे इस रेजिमेंट के मौजूदा कर्नल हैं, मेजर रितेश तिवारी के नेतृत्व में जम्मू कश्मीर लाइट इंफैंटरी ने 70 के दशक के आर्मी यूनिफॉर्म में प्रदर्शन किया और उन्होंने 7.62 मिमी एसएलआर लिया हुआ है, राजपथ पर थल सेना के बाद इंडियन नेवी का प्रदर्शन शुरू हुआ. इंडियन नेवी की झांकी में नेवी की बहु-आयामी क्षमताओं की झलक दिखी. इसमें 'आत्मनिर्भर भारत' और 'आजादी का अमृत महोत्सव' को भी जगह दी गई थी, 73वें गणतंत्र दिवस के मौके पर बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) के बैंड दल ने ऊंट पर सवार होकर प्रदर्शन किया, थल सेना, जल सेना के बाद वायु सेना ने अपनी क्षमताओं का राजपथ पर प्रदर्शन किया. इसमें 96 एयरमैन और 4 ऑफिसर्स ने स्क्वाड्रन लीडर प्रशांत स्वामीनाथन के नेतृत्व में प्रदर्शन किया. वायु सेना की झांकी 'भविष्य के हिसाब से बदलती वायुसेना' पर आधारित है, गुजरात की झांकी में आदिवासियों की गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया जिससे शुरुआती हिस्से में आदिवासियों की आजादी के दौरान किए गए संघर्ष को दिखाया गया, उत्तराखंड की झांकी में हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा, डोबरा-चांटी ब्रिज और बद्रीनाथ मंदिर का प्रदर्शन किया गया, गोवा ने अपनी झांकी में राज्य के संस्कृति की झलक को पेश किया. इसमें अगोडा किला, पणजी के आजाद मैदार में शहीद संग्रहालय और डोना पौला को भी दिखाया गया, उत्तर प्रदेश की झांकी में 75 वर्षों की उपलब्धियों का प्रदर्शन किया गया.








इसमें काशी विश्वनाथ धाम कोरिडोर को भी दिखाया गया. तथा एमएसएमई (माइक्रो, स्माल, माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) पॉलिसी व इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट पॉलिसी पर आधारित 'वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट' के जरिए स्किल डेवलपमेंट व रोजगार में उपलब्धियों का प्रदर्शन इत्यादि प्रदर्शन किया गये थे, जो कि आज के इस 73वें गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व पर खास रहे थे ।