जैसा की सभी भक्तजन जानते हैं कि दिनांक 29 जनवरी 2022 को शनि प्रदोष व्रत है, आज कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथी को है शनि प्रदोष व्रत। कहते है यदि इस व्रत को भक्त और सभी जातक गण अगर पूरे मन एवं श्रद्धा के साथ कर ले तो उनके समस्त कष्ट, पीड़ा, परेशानियाँ, समस्याएं बहुत जल्द दूर हो जाते है। तो आइए जानते है क्या है शनि प्रदोष व्रत की महिमा ?
कथा शनि प्रदोष व्रत की :- बहुत ही प्राचीन समय की बात है। एक बार एक नगर में एक सेठ धन-दौलत और वैभव से सम्पन्न थे। वह अत्यन्त दयालु भी थे। उनके यहाँ से कभी कोई भी ख़ाली हाथ नहीं लौटता था। वह सभी को जी भरकर दान-दक्षिणा देता था। लेकिन दूसरों को सुखी देखने वाले सेठ और उसकी पत्नी स्वयं काफ़ी दुखी थे। दुःख का कारण था- उनके सन्तान का न होना। सन्तानहीनता के कारण दोनों घुले जा रहे थे। एक दिन उन्होंने तीर्थयात्रा पर जाने का निश्चय किया और अपने काम-काज सेवकों को सोंप चल पड़े। अभी वे नगर के बाहर ही निकले थे कि उन्हें एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक तेजस्वी साधु दिखाई पड़े। दोनों ने सोचा कि साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा शुरू की जाए। पति-पत्नी दोनों समाधिलीन साधु के सामने हाथ जोड़कर बैठ गए और उनकी समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे।
सुबह से शाम और फिर रात हो गई, लेकिन साधु की समाधि नहीं टूटी। मगर सेठ पति-पत्नी धैर्यपूर्वक हाथ जोड़े पूर्ववत बैठे रहे। अंततः अगले दिन प्रातः काल साधु समाधि से उठे। सेठ पति-पत्नी को देख वह मन्द-मन्द मुस्कराए और आशीर्वाद स्वरूप हाथ उठाकर बोले- 'मैं तुम्हारे अन्तर्मन की कथा भांप गया हूँ वत्स! मैं तुम्हारे धैर्य और भक्तिभाव से अत्यन्त प्रसन्न हूँ।' साधु ने सन्तान प्राप्ति के लिए उन्हें शनि प्रदोष व्रत करने की विधि समझाई और शंकर भगवान की निम्न वन्दना बताई।
हे परमात्मा... हे रुद्रदेव भगवान शिव नमस्कार। शिव शंकर जगगुरु नमस्कार॥ हे नीलकंठ सुर नमस्कार। शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार॥ हे उमाकान्त सुधि नमस्कार। उग्रत्व रूप मन नमस्कार ॥ईशान ईश प्रभु नमस्कार। विश्वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार॥ तीर्थयात्रा के बाद दोनों वापस घर लौटे और नियमपूर्वक शनि प्रदोष व्रत करने लगे। कालान्तर में सेठ की पत्नी ने एक सुन्दर पुत्र जो जन्म दिया। शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से उनके यहाँ छाया अन्धकार लुप्त हो गया। और तभी से वे दोनों भगवान की कृपा से आनन्दपूर्वक रहने लगे।
कैसे करे व्रत ? क्या है पूजन विधि :- मित्रो शनि प्रदोष की विधि अत्यंत ही सरल है जो भी जातक व्रत रखना चाहते है, वो यह इस प्रकार कर सकते हैं शनि प्रदोष व्रत रखना है, तो एक दिन पूर्व से सात्विक भोजन करें. मन, कर्म और वचन से शुद्ध रहें. मन में किसी के प्रति बुरी भावना न रखें और न ही किसी को बुरा भी ना बोलें 29 जनवरी को प्रात: स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लें, हाथ में जल, फूल और अक्षत् लेकर शनि प्रदोष व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा का संकल्प करें. दिन में दैनिक पूजा करें. फलाहार करते हुए व्रत करें. शाम के समय में भगवान शिव की पूजा की जाएगी. प्रदोष पूजा मुहूर्त का ध्यान रखें. प्रदोष मुहूर्त में किसी शिव मंदिर जाएं या फिर घर पर ही भगवान को याद करके शिवलिंग हो तो घर पर ही पूजा करें ।
भगवान महादेव का शिव जी का गंगाजल और गाय के दूध से क्रमश: अभिषेक करें. फिर उनको सफेद चंदन का लेप करें. उसके बाद शहद, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी पत्ता, मदार का फूल, मौसमी फल आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें, इसके बाद भगवान महादेव जी को धूप और घी का दीपक अर्पित करें. फिर शिव चालीसा, शिव स्तोत्र का पाठ करें. अब आप शनि प्रदोष व्रत कथा का श्रवण करें. फिर भगवान शिव की विधिपूर्वक आरती करें. पूजा के अंत में भगवान शिव से पुत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें. तथा जीवन के दुखों को दूर करने की याचना करें ॥