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Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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'बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह का हुआ प्रदर्शन, इसमें भारत की गाथा का हुआ गुणगान


दोस्तों जब से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'बीटिंग द रिट्रीट’ का वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया है, तब से यह काफ़ी वायरल हो रहा है और लोगों में इसको लेकर काफी उत्साह बना हुआ है कि आखिर यह है क्या ? और यह इतना बहुचर्चित क्यों हो रहा है... तो आइए इस आलेख में इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।





दरअसल गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व के समारोह के समापन प्रतीक के तौर पर दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह  को समपन्न किया गया था । इस बार इसमें लेजर शो का भी आयोजन किया गया था.





आइए जानते है विस्तार से :- विस्तृत रूप से कहे तो गणतंत्र दिवस  समारोह के समापन के प्रतीक के तौर पर दिल्ली के विजय चौक  पर ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह की शुरुआत हुई थी, इस बार ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह बेहद खास था, तथा इस बार पहली बार एक हजार स्वदेशी ड्रोन के जरिए आसमान को रंगीन भी किया गया था. पहली बार यहां पर लेजर शो का आयोजन किया गया. साथ ही साथ, मार्शल संगीत की भी धुनें इस वर्ष इस समारोह का मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे एवं भारतीय तीनो भारतीय सेनाओं यानि नौसेना, वायु सेना तथा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के बैंड ने पूरी 26 धुनों को बजाया था.


इस खास अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कार्यक्रम में उपस्थित थे.  इस लेजर शो का आयोजन खत्म हो चुका है. इस दौरान बैकग्राउंड म्यूजिक भी चलाया गया था. इसके अतिरिक्त, एक कहानी के  रूप में भारत के द्वारा अब तक की हासिल कि गई सभी उपलब्धियों के बारे में बताया गया. जहाँ भारत के आजादी अमृत महोत्सव को लेकर भी बात की जा रही थी. लेजर की मदद से ‘आजादी के अमृत महोत्सव 75 वर्ष’ को भी मनाया गया था।






इस शौर्य एवं शक्ति के प्रतीक 'बीटिंग रिट्रीट' के लिए किया गया था कड़ा बंदोबस्त :-



29 जनवरी को हुए बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के लिए इस बार दोपहर 2 बजे से ही नई दिल्ली की सड़कों पर अधिकारियों द्वारा डाइवर्जन प्लान लागू कर दिया गया था। और यह रात्रि 9:30 बजे तक व्यवस्थित किया गया था। इस दौरान विजय चौक के आसपास के सभी मार्ग ट्रैफिक के लिए बंद कर दिए गए थे। सुनहरी मस्जिद से लेकर के कृषि भवन के गोल चक्कर के बीच रफी मार्ग तक एवं कृषि भवन के गोल चक्कर से लेकर विजय चौक के रायसीना रोड तक एवं इसके अतिरिक्त दाराशिकोह रोड गोल चक्कर, कृष्णा मेनन मार्ग गोल चक्कर तथा सुनहरी मस्जिद गोल चक्कर और विजय चौक की तरफ जाने के रास्तों को भी दोपहर 2 बजे से बंद कर दिया गया था। वहीं इंडिया गेट से लेकर विजय चौक के मध्य पूरा राजपथ भी दोनों ही तरफ से ट्रैफिक की आवागमन के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया था। सिर्फ पैदल चलकर ही जनता राजपथ से विजय चौक की तरफ जा पा रही थी। लेकिन कुछ जगहों पर जैसे कि जनपथ और मान सिंह रोड से राजपथ होते हुए क्रॉस ट्रैफिक जारी था।





आखिर किस बात का प्रतीक है बीटिंग रिट्रीट :-


दरअसल सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है बीटिंग रिट्रीट और हम इसे अर्थात 29 जनवरी को हुई बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी को आर्मी की बैरक वापसी के प्रतीक के रूप में मानते है। हमारे देश  भारत में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के मुख्य अतिथि भारत देश के राष्ट्रपति होते हैं। भारत के साथ - साथ पूरी दुनिया में भी बहुत लंबे समय से बीटिंग रिट्रीट की परंपरा चली आ रही है। हमारे यहाँ इसकी शुरुआत साल 1950 में हुई थी। तब भारतीय सेना के मेजर रहे रॉबर्ट ने इस सेरेमनी को सेनाओं के बैंड्स के साथ मिलकर इस डिस्प्ले के साथा पूर्ण करवाया था।




एंट्री बैंड 'वीर सैनिक' की धुन बजाते हुए मास्ड बैंड था एवं इसके पश्चात पाइप तथा ड्रम बैंड, सीएपीएफ बैंड, वायु सेना बैंड, नौसेना बैंड, सेना सैन्य बैंड एवं मास बैंड भी उपस्थित थे। समारोह के मुख्य संवाहक का जिम्मा कमांडर विजय चार्ल्स डी'क्रूज ने संभाला था।