दोस्तों क्या आपको भी यह सवाल खटकता है कि जब साल के बाकी सभी महीनों में 30 दिन होते है तथा 31 दिन होते हैं तो फिर आखिर फरवरी में ही 28 दिन व 29 दिन क्यों होते हैं ? आखिर फरवरी का महीना ही क्यों साल का सबसे छोटा महीना होता है ? तो आइए जानते है इन सभी सवालों के जबाब इस आलेख में...
असल में दोस्तों, हमारा पृथ्वी गृह सूर्य गृह का चक्कर लगाने में 365 दिन और 6 घंटे लगाता है. और इसलिए ही हर 4 वर्ष में 1 दिन अधिक हो जाता है तब उस एक दिन को फरवरी के महीने में 1 दिन अधिक जोड़कर के इस का समान योग व संतुलन बनाया जाता है तथा इस प्रकार इस वर्ष को लीप ईयर कहा जाता है।
हम आपको यह बता दे कि यह पृथ्वी के सूर्य के चक्कर लगाने पर निर्भर करता है तथा शेष अन्य महीनों में 30 अथवा 31 दिन होने के कारण फरवरी में प्रयुक्त करने के लिए सिर्फ 28 दिन तथा कुछ घंटे ही बच पाते हैं तो इस महीने में ऐसे ही समायोजित कर दिया गया है, इस कारण से फरवरी में 28 दिन होते हैं और चार वर्ष पश्चात 29 दिन हो जाते हैं।
एक दिन नहीं बढ़ाने से हो सकता था नुकसान :- दोस्तों ऐसा भी कहा जाता है कि अगर फरवरी के महीने में एक दिन नहीं बढ़ता तो हम हर वर्ष कैलेंडर से लगभग 6 घंटे आगे बढ़ जाएंगे. अर्थात 100 वर्षो में 24 दिन आगे निकल जाएंगे. जिसके कारण से मौसम को हर माह से जोड़ कर रखना मुश्किल हो जाता और अगर ऐसा नहीं किया जाए तो साल के मई- जून के महीने में गर्मी न आयेगी बल्कि लगभग 500 साल बाद दिसंबर में आने लग जाएगी।
फरवरी में ही समायोजित करने के कारण :- समायोजित होते हैं फरवरी के महीने में दिन अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर फरवरी में ही ये दिन क्यों प्रयुक्त होते हैं और यह मार्च, जनवरी या दिसंबर में क्यों समायोजित नहीं किए जाते हैं. फरवरी में दिन समायोजित और प्रयुक्त होने के पीछे भी एक अहम कारण है।
इस के पीछे की वजह ये है कि पहले एक वर्ष में सिर्फ 10 माह ही होते थे तथा वर्ष का प्रारंभ मार्च से होता था।
जबकि, अभी की भांति ही वर्ष का अंतिम माह दिसंबर ही था तथा दिसंबर के पश्चात सीधे मार्च आ जाता था। वैसे पहले यह कैलेंडर कई बार बदल चुका था ।
लेकिन बाद में वक्त और समय की गंभीरता समझते हुए तथा वक्त को गहन रूप से वर्गीकरण करने के लिए जनवरी और फरवरी महीने जोड़े गए. उसके बाद 153 ईसा पूर्व में जनवरी माह की शुरुआत प्रांरभ हुई थी, लेकिन इसके पश्चात पहले 1 मार्च वर्ष का प्रथम दिन हुआ करता था ।
वही इसके साथ ही पहले जब 10 महीनों का वर्ष होता था तो माह के दिन ऊपर - नीचे होते रहते थे, फिर जब वर्ष में दो महीने जोड़े गए तो दिन को भी उसी के अनुसार विभाजित किया गया, इसके पश्चात से ही फरवरी में 28 दिन हो गए तथा 4 वर्षों के हिसाब से 29 दिन आने लगे. बस तभी से ही ये ही कैलेंडर चलता आ रहा है।