पाठकों हमारे देश की प्रगति हेतु शिक्षा बहुत ज़रूरी है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि शहरों की तुलना में गाँव के लोग प्राय कम शिक्षित होते हैं। शिक्षा हमारी खुद की तथा देश की प्रगति में सहायता करती है।
शिक्षित इंसान को समाज में उसके मिलने - जुलने वाले स्थान में मान सम्मान भी खूब मिलता है।
ऐसे हम एक अच्छी शिक्षा के माध्यम से जीवन में अधिक से अधिक उन्नति कर सकते है। अत ऐसे में हमारा एवं समाज का शिक्षित होना अत्यंत जरूरी है।
बच्चों को करें जागरूक :- वर्तमान समय में यदि बच्चे शिक्षित नहीं हो तो उन्हें जीवन व्यतीत करने में कठिनाई आ सकती है। पढ़ाई करना उनके जीवन के लिए बहुत आवश्यक होता है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर अफसर बनाना चाहता है।
अब यदि कोई बच्चा ठान ले तो वह अवश्य ही पढ़ - लिखकर इंजीनियर, वैज्ञानिक , वकील, पुलिस आदि की परीक्षाएं देकर के एक बड़ा अफसर बन सकता है।
हमें ‘पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया’ इस बात को सिद्ध करके दिखाना होगा । यदि बच्चे शिक्षित होंगे तो इस कारण से उनका एक प्रभावशाली व्यक्तित्व निखर के सबके सामने आयेगा ।
उन्हें अच्छे शिक्षण के कारण अच्छी नौकरी प्राप्त होती है। अच्छी नौकरी के कारण ही अच्छी सैलरी तथा इन सबके कारण ही लोग एक अच्छा जीवन जी पाते हैं।
भारत की अगर बात करी जाए तो यहाँ आज भी लगभग 23 प्रतिशत लोगों के अशिक्षित होने का प्रमाण है। और इसी वजह से हमारे देश को आज भी विकासशील देशों में गिना जाता है।
बच्चों के मना करने पर उन्हें समझाएं :- यदि बच्चें खुद ही शिक्षा के लिए मना करें तो हमें उन्हें हर संभव प्रयास करके समझाना चाहिए। आज कल के इस वर्तमान युग में अगर इंसान शिक्षित ना रहा तो बाहर की दुनिया में कोई उसकी प्रशंसा नहीं करेगा उसका सम्मान नहीं करेगा ।
महान तथा संघर्षमयी व्यक्तित्वों का दे उदाहरण :- यदि बच्चे पढ़ाई करने से मना करते है तो उनके माता - पिता को तथा अभिभावकों को देश की महान तथा संघर्ष मयी जीवन जीने वाली हस्तियों का उदाहरण देना चाहिए।
हम उन्हें डॉक्टर बी.आर. अम्बेडकर जिन्होंने हमारे स्वतंत्र भारत देश का संविधान लिखा था। लाल बहादुर शास्त्री जी जो कि एक बहुत गरीब परिवार से आये थे वे देश के प्रधानमंत्री बने और साथ देश में हरित क्रांति तथा श्वेत क्रांति के मुख्यसूत्र धार कहलाए ।
अपातकाल और युद्ध काल के समय देशवासियों को हौसला देते हुए स्थिति को नियंत्रण में रखा तथा "जय - जवान" "जय - किसान" का नारा दिया । भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन ऑफ इंडिया डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जो कि एक बहुत ही ज्यादा निर्धन परिवार से थे. तथा उन्होंने अपनी आजीवका को चलाने के लिए बचपन में नौकरी तक करी एवं अत्यंत संघर्षों के पश्चात वह उस मुकाम तक पहुँचे कि आज उनके इस दुनिया से जाने के पश्चात भी लोगों के दिलों में उनका एक अद्वितीय स्थान है तथा वह भारत के सबसे सुप्रसिद्ध राष्ट्रपतियों में से एक है।
ऐसे में हमारे देश की आने वाली पीढ़ी का शिक्षित होना उनके उज्जवल भविष्य के लिए बहुत ज़रूरी है यदि वह लोग भी अच्छे से अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे तो इन महान हस्तियों की भाँति ही अपना जीवन जी पाऐंगे ।
बालिकाओं की शिक्षा भी है आवश्यक : - ऐसा नहीं है की केवल बच्चों का शिक्षा प्राप्त ना कर पाना ही एक समस्या है, इसमें भी एक विशेष प्रकार का विभाजन या यूं कहे की समस्या है लड़का - लड़की का अंतर क्योंकि भारत में लड़कियों की शिक्षा का प्रमाण लड़कों से कम है।
भारत के लोग लड़कियों को ज्यादा पढ़ाने में विश्वास नहीं रखते है। और यदि पढ़ाते भी है तो बस स्कूल तक ही पढ़ाते है एवं लड़कियों की शादी करवा देते है। हालांकि ऐसे माता - पिता भी है जो कि अपनी लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलवाते है पर उनका अनुपात आज भी बहुत कम है।
इसलिए उनको यह जरूर समझना चाहिए की लड़कियों की पढ़ाई तथा शिक्षा भी उतनी ही आवश्यक होती है जितनी की लड़कों की इसके साथ ही हर इंसान को पढ़ने - लिखने का अवसर होता है।
ऐसे में लड़कियों के माता पिता को अब यह समझना चाहिए तथा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की सोच तथा पहल को अधिक से अधिक प्रोत्साहन देना चाहिए जिससे कि भारत को सावित्री बाई फुले जैसी और भी स्वतंत्रता सैनिक बने । और उसी देश में हम यदि लड़कियों को नहीं पढ़ाएँगे
तो हमारे देश की उन्नति तथा विकास अवरूद्ध हो जाएगा। इससे हमारा देश कभी पूर्ण रूप से विकसित नहीं होगा तथा सही समय पर उन्नति एवं पूर्ण विकास ना होने से दुनिया के अन्य देशों से भी पीछे रह जाएगा ।
हर बार माता - पिता में दोष ना निकाले :- यूं तो यह सच है कि जो बच्चें शिक्षा प्राप्त नहीं करते या अधूरी छोड़ देते है। उनके माता - पिता का उनको ना भेजना एक बड़ी समस्या है परंतु हर बार माता पिता का ही दोष नहीं होता, क्योंकि गरीब से गरीब आदमी भी अपने बच्चों को पढ़ा - लिखा कर एक सुशिक्षित व्यक्ति बनाना चाहता है, परंतु उस इंसान की जिंदगी में कुछ ऐसे हालात भी होते है जो कि ऐसा होने की अनुमति नहीं दे पाते।
जैसे कि कई गरीब व्यक्तियों के पास तो दो वक्त की रोटी खाने के भी पैसे नहीं होते तो इन हालातो में वो माता - पिता अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएंगे लिखाएंगे। भारत में आज भी गरीबी गहन मात्रा में विद्यमान है इसलिए बहुत से अभिभावक चाह कर भी अपने बच्चों को विद्यालय एवं कॉलेज भेजकर उनकी शिक्षा पूर्ण नहीं करवा पाते है।
इस आधुनिक युग में मनुष्य के लिए शिक्षा का महत्व :- यह युग यह दौर आज इतनी तेज़ी से बदल रहा है कि इस युग को आधुनिकता के क्रांतिकारी युग के नाम से भी जाना जाता है।
किसी भी वक्त में बदलाव अपने आप नहीं आते बल्कि बदलाव लाए जाते हैं तथा इनके पीछे की यह प्रक्रिया शिक्षा के बिना असंभव थी। वर्तमान आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व पहले की तुलना में बहुत अधिक बढ़ चुका है ।
अब मनुष्य को अपना जीवन जीने तथा अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए शिक्षा की बहुत अधिक जरूरत है। शिक्षा आपके जीवन को बेहतर बनाने हेतु अनिवार्य है। तथा सिर्फ ज्ञान प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं होता बल्कि औद्योगिकरण के इस युग में ज्ञान के व्यवहारिक प्रयोगों पर अधिक बल दिया जाता है। जिसे व्यावहारिक ज्ञान कहते है।
इसलिए शिक्षा के साथ - साथ विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान किए जाते हैं। जिससे बच्चे अपने छात्र जीवन में ही अपने व्यावसायिक समस्याओं के समाधान प्राप्त कर एक कुशल कर्मचारी बन जाते हैं।
वर्तमान आधुनिक युग में विकसित हो रही सभ्यता तथा मशीनीकरण की क्रांति ने जहाँ एक तरफ मनुष्य के कार्य को कम कर दिया है।
वहीं दूसरी और लोग बेरोज़गार भी हुए हैं। इसी कारण से वर्तमान दौर में शिक्षा के द्वारा आत्मनिर्भर बनने की मुहिम चलाई जा रही है।
इस प्रकार ना कि सिर्फ नए रोज़गार के अवसर प्राप्त होंगे अपितु नए व्यवसाय एवं कार्य क्षेत्र के मार्ग भी खोजे जाएँगे। आज समाज में शिक्षा समाज की आवश्यकता से बढ़कर एक मापदंड बन गई है। इसलिए समाज में केवल उन्हीं लोगों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, जिन्होंने अच्छी शिक्षा प्राप्त करी है।
इसलिए यह भी कहा गया है कि आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व बहुत ज्यादा है और हमारे देश एवं समाज के हर मनुष्य को हर बालक - बालिका को अवश्य ही शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए यह परम आवश्यक एवं बहुत जरूरी है।