Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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Mission Schools of Excellence

 आज गुजरात अमृतकाल की अमृत पीढ़ी के निर्माण की तरफ बहुत बड़ा कदम उठा रहा है। विकसित भारत के लिए विकसित गुजरात के निर्माण की तरफ ये एक मील का पत्थर सिद्ध होने वाला है। Mission Schools of Excellence इसके शुभारंभ पर मैं सभी गुजरातवासियों को, सभी अध्यापकों को, सभी युवा साथियों को, इतना ही नहीं, आने वाली पीढ़ियों को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

हाल ही में देश ने मोबाइल और इंटरनेट की 5th generation यानी 5G के युग में प्रवेश किया है। हमने इंटरनेट की 1G से लेकर 4G तक की सेवाओं का उपयोग किया है। अब देश में 5G बड़ा बदलाव लाने वाला है। हर जेनरेशन के साथ सिर्फ स्पीड ही नहीं बढ़ी हैबल्कि हर जेनरेशन ने टेक्नॉलॉजी को जीवन के करीब-करीब हर पहलू से जोड़ा है।

साथियों,

इसी प्रकार हमने देश में स्कूलों की भी अलग-अलग जेनरेशन को देखा है। आज 5G, स्मार्ट सुविधाएंस्मार्ट क्लासरूमस्मार्ट टीचिंग से आगे बढ़कर हमारी शिक्षा व्यवस्था को Next Level पर ले जाएगा। अब वर्चुअल रियलिटीइंटरनेट ऑफ थिंग्सइसकी ताकत को भी हमारे छोटे-छोटे बाल साथीहमारे विद्यार्थी स्कूलों में बड़ी आसानी से अनुभव कर पाएंगे। मुझे खुशी है कि इसके लिए गुजरात ने इस Mission Schools of Excellence के तौर पर पूरे देश में बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण और सबसे पहला कदम उठा दिया है। मैं भूपेंद्र भाई कोउनकी सरकार कोउनकी पूरी टीम को भी साधुवाद देता हूंशुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

बीते दो दशकों में गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र में जो परिवर्तन आया हैवो अभूतपूर्व है। 20 साल पहले हालत ये थी कि गुजरात में 100 में से 20 बच्चे स्कूल ही नहीं जाते थे। यानी 5वां हिस्सा शिक्षा से बाहर रह जाता था। और जो बच्चे स्कूल जाते थेउनमें से बहुत सारे बच्चे 8वीं तक पहुंचते-पहुंचते ही स्कूल छोड़ देते थे। और इसमें भी दुर्भाग्य था कि बेटियों की स्थिति तो और खराब थी। गांव के गांव ऐसे थेजहां बेटियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था। आदिवासी क्षेत्रों में जो थोड़े बहुत पढ़ाई के केंद्र थेवहां साइंस पढ़ाने की सुविधाएं तक नहीं थीं। और मुझे खुशी हैमैं जीतू भाई को और उनकी टीम की कल्पना को विशेष रूप से बधाई देता हूं। शायद आप वहां से देख रहे थेक्या हो रहा है मंच परसमझ नहीं आया होगा। लेकिन मेरा मन करता हैमैं बता दूं।

अभी जो बच्चे मुझे मिलेवो वह बच्चे थेजब 2003 में पहला स्कूल प्रवेशोत्सव किया था और मैं आदिवासी गांव में गया था। 40-45 डिग्री गर्मी थी। 13,14 और 15 जून के वह दिन थे और जिस गांव में बच्चों का सबसे कम शिक्षण थाऔर लड़कियों की सबसे कम शिक्षा थीउस गांव में मैं गया था। और मैंने गांव में कहा था कि मैं भिक्षा मांगने आया हूं। और आप मुझे भिक्षा में वचन दीजिएकि मुझे आपकी बालिका को पढ़ाना हैऔर आप अपनी लड़कियों को पढ़ायेंगे। और उससे पहले कार्यक्रम में जिन बच्चों की उंगली पकड़कर मैं स्कूल ले गया थाउन बच्चों का आज मुझे दर्शन करने का मौका मिला है। इस मौके पर मैं सबसे पहले उनके माता-पिता को वंदन करता हूंक्योंकि उन्होंने मेरी बात को स्वीकारा। मैं स्कूल ले गयापरंतु उन्होंने उसके महात्मय को समझकर उन्होंने बच्चों को जितना पढ़ा सकेउतना पढ़ाया और आज वह खुद के पैर पर खड़े हुए मिले। मुझे इन बच्चों से मिलकर खासकर उनके माता-पिता को वंदन करने का मन होता है। और गुजरात सरकार जीतूभाई को बधाई देता हूं कि मुझे इन बच्चों से मिलने का आज अवसर मिलाजिसे पढ़ाने के लिए उंगली पकड़कर ले जाने का सौभाग्य मुझे मिला था।

साथियों,

इन दो दशकों में गुजरात के लोगों ने अपने राज्य में शिक्षा व्यवस्था का कायाकल्प करके दिखा दिया है। इन दो दशकों में गुजरात में सवा लाख से अधिक नए क्लासरूम बने, 2 लाख से ज्यादा शिक्षक भर्ती किए गए। मुझे आज भी वो दिन याद हैजब शाला प्रवेशोत्सव और कन्या केलवनी महोत्सव का आरंभ हुआ था। प्रयास ये था कि बेटा-बेटी जब पहली बार स्कूल जाएं तो उसे उत्सव की तरह मनाया जाए। परिवार में उत्सव होमोहल्ले में उत्सव होपूरे गांव में उत्सव होक्योंकि देश की नई पीढ़ी को हम शिक्षित और संस्कारित करने का आरंभ कर रहे हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए मैंने गांव-गांव जाकर खुदसभी लोगों से अपनी बेटियों को स्कूल भेजने का आग्रह किया था और परिणाम ये हुआ है कि आज गुजरात में करीब-करीब हर बेटा-बेटी स्कूल पहुंचने लगा हैस्कूल के बाद अब कॉलेज जाने लगा है।

साथियों,

इसके साथ ही हमने शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सबसे ज्यादा बल दिया, Outcome पर बल दिया है। इसलिए हमने प्रवेशोत्सव के साथ-साथ गुणोत्सव की शुरुआत की थी। क्वालिटी एजुकेशनमुझे अच्छी तरह याद है कि गुणोत्सव मेंहर एक विद्यार्थी काउसकी क्षमताओं काउसकी रुचि काउसकी अरुचि का विस्तार से आकलन किया जाता थासाथ-साथ शिक्षकों का भी आकलन होता था।

इस बहुत बड़े अभियान में स्कूली व्यवस्था के साथ-साथ हमारे ब्यूरोक्रेट्सहमारे अधिकारी, Even पुलिस के अधिकारीफॉरेस् के अधिकारीवे भी तीन दिन के लिए गांव-गांव स्कूलों में जाते थेहिस्सा बन जाते थे अभियान का।

औऱ मुझे बहुत खुशी है कि कुछ दिन पहले जब मैं गांधीनगर आया थातो उस गुणोत्सव का एक बहुत ही Advanced, Technology Based Version, विद्या समीक्षा केंद्र के रूप में मुझे देखने को मिला। विद्या समीक्षा केंद्रों की आधुनिकता देखकर कोई भी हैरान रह जाएगा। और हमारी भारत सरकार नेहमारे शिक्षा मंत्री नेदेशभर के शिक्षा मंत्रियों को और शिक्षा विभाग के अधिकारियों यहां गांधीनगर बुलाया था। और सबके सब ये विद्या समीक्षा केंद्र को घंटों तक उसका अध्ययन करने में लगे रहे। और बाद में भी राज्यों से डेलिगेशन आते हैं और विद्या समीक्षा केंद्र का अध्ययन करके उस मॉडल को अपने राज् में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। गुजरात इसके लिए भी अभिनंदन का अधिकारी है।

राज्य की पूरी स्कूली शिक्षा के पल-पल की जानकारी लेने के लिए ये एक केंद्रीय व्यवस्था बनाई गई हैएक अभिनव प्रयोग किया गया है। गुजरात के हज़ारों स्कूलोंलाखों शिक्षकों और करीब सवा करोड़ स्टूडेंट्स की यहां से समीक्षा की जाती हैउनको फीडबैक दिया जाता है। जो डेटा आता हैउसका बिग डेटा एनालिसिसमशीन लर्निंगआर्टिफिशियल इंटेलिजेंसवीडियो वॉल और ऐसी तकनीक से विश्लेषण किया जाता है। उसके आधार पर बच्चों को बेहतर प्रदर्शन के लिए आवश्यक सुझाव दिए जाते हैं।

साथियों,

गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र मेंहमेशा ही कुछ नयाकुछ Unique और बड़े प्रयोग करनाये गुजरात के डीएनए में हैस्वभाव में है। गुजरात में पहली बार टीचर्स ट्रेनिंग इंस्टिट्यूटइंस्टिट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन की स्थापना हमने की थी। Children University, दुनिया में एकमात्र यूनिवर्सिटीऔर उस खेल महाकुंभ का अनुभव देखिएउसके कारण सरकारी मशीनरी को जो काम करने की आदत बन गईगुजरात के युवा धन की खेल के प्रति जो रुचि बनीये जो इको-सिस्टम तैयार हुआउसका परिणाम है जब आज बहुत सालों के बाद राष्ट्रीय खेल महोत्सव गुजरात में हुआ अभी पिछले सप्ताह। मैंने इतनी तारीफ सुनी हैक्योंकि मैं खिलाड़ियों के संपर्क में रहता हूंउनकी कोचिंग के संपर्क में रहता हूंढेर सारी बधाईयां मुझे दे रहे हैं। मैंने कहा भाईबधाइयां मुझे  दो आप गुजरात के मुख्यमंत्री और गुजरात सरकार को दीजिएये सारा उनका पुरुषार्थ हैउनका परिश्रम हैजिनके कारण इतना बड़ा देश का खेल उत्सव हुआ। और सारे खिलाड़ी कह रहे थे कि साहब हम अंतरराष्ट्रीय खेलों में जाते हैं और जो हम हॉस्पिटैलिटी और व्यवस्था देखते हैंगुजरात ने उसी तरह से मन लगाकर योजनाएं बनाईंहमारा स्वागत-सम्मान किया। मैं सचमुच में इस कार्यक्रम को सफल बना करके खेल जगत को गुजरात ने जिस प्रकार से प्रोत्साहित किया हैइस कार्यक्रम को host करकेजो एक नए standard पर स्थापित किए हैंइसके लिए गुजरात ने देश की बहुत बड़ी सेवा की है। मैं गुजरात के सभी अधिकारियों कोगुजरात सरकार कोगुजरात के खेल जगत के सभी लोगों को हृदय से अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

एक दशक पहले ही गुजरात के 15 हज़ार स्कूलों में TV पहुंच चुका था। 20 हज़ार से ज्यादा स्कूलों में Computer aided learning labs, ऐसी अनेकों व्यवस्थाएं बहुत साल पहले ही गुजरात के स्कूलों का अभिन्न अंग बन गई थीं। आज गुजरात में 1 करोड़ से अधिक स्टूडेंट्स और 4 लाख से अधिक टीचर्स की ऑनलाइन अटेंडेंस होती है। नए प्रयोगों के इसी सिलसिले को जारी रखते हुए आज गुजरात के 20 हज़ार स्कूलशिक्षा के 5G दौर में प्रवेश करने जा रहे हैं। Mission schools of excellence के तहत इन स्कूलों में 50 हज़ार नए क्लासरूमएक लाख से अधिक स्मार्ट क्लासरूमइनको आधुनिक रूप में विकसित किया जाएगा। इन स्कूलों में आधुनिक डिजिटल और फिज़िकल इंफ्रास्ट्रक्चर तो होगा हीये बच्चों के जीवनउनकी शिक्षा में व्यापक बदलाव का भी अभियान है। यहां बच्चों के सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए हर पहलूहर पक्ष पर काम किया जाएगा। यानी विद्यार्थी की ताकत क्या हैसुधार की गुंजाइश क्या हैइस पर फोकस किया जाएगा।

साथियों,

5G टेक्नॉलॉजीइस व्यवस्था का लाभ बहुत आसान होने वाला है। और सरल शब्दों में किसी को समझाना हैसामान् मानवी को ये लगता है कि पहले 2जी था, 4जी था, 5जी हुआ। ऐसा नहीं हैअगर 4जी को मैं साइकिल कहूंबाइसिकिल कहूं तो 5जी हवाई जहाज हैइतना फर्क है। टेक्नोलॉजी को अगर मुझे गांव की भाषा में समझाना हैतो मैं ऐसा कहूंगा। 4जी मतलब साइकिल, 5जी मतलब आपके पास हवाई जहाज हैवो ताकत है इसमें।

अब गुजरात को बधाई इसलिए है कि उसने इस 5जी की ताकत को समझते हुए इस आधुनिक शिक्षाइसका बहुत बड़ा मिशन excellency के लिए किया हैये गुजरात के भाग् को बदलने वाली चीज है। और इससे हर बच्चे को उसकी ज़रूरत के हिसाब से सीखने का मौका मिल पाएगा। इससे विशेष रूप से दूर-सुदूर के गांवों के स्कूलों की पढ़ाई में बहुत मदद मिलेगी। जहां दूर बेस् टीचर्स की जरूरत हैआराम से इससे उपलब् हो जाएगा। बेस् क्लास लेने वाला व्यक्ति हजारों किलोमीटर दूर होगाऐसा ही लगेगाजैसे मेरे सामने बैठकर मुझे पढ़ा रहा है। हर विषय के बेस्ट कंटेंट हर किसी के पास पहुंच पाएंगे। अब जैसे अलग-अलग स्किल्स को सिखाने वाले श्रेष्ठ टीचर अब एक जगह से हीअलग-अलग गांव-शहरों में बैठे बच्चों को एक ही समय में वर्चुअली रियल टाइम में पढ़ा सकेंगेसिखा सकेंगे। इससे अलग-अलग स्कूलों में जो गैप अभी देखने को मिलता हैवो भी काफी हद तक दूर होगा।

आंगनबाड़ी और बाल वाटिका से लेकर करियर गाइडेंस और कंपीटिटिव एग्जाम की तैयारियों तकये आधुनिक स्कूलविद्यार्थियों की हर ज़रूरत को पूरा करेंगे। कलाशिल्पव्यवसाय से लेकर कोडिंग और रोबोटिक्स तकहर प्रकार की शिक्षा छोटी उम्र से ही यहां उपलब्ध रहेगी। यानी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हर पहलू को यहां ज़मीन पर उतारा जाएगा।

भाइयों और बहनों,

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से पूरे देश में इसी प्रकार के बदलाव को आज केंद्र सरकार प्रोत्साहित कर रही है। इसलिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में साढ़े 14 हज़ार से अधिक पीएम श्री स्कूल बनाने का भी फैसला किया है। ये पायलट प्रोजेक् हैहिन्दुस्तान के अलग-अलग कोने में इसकी शुरूआत होगीइसकी मॉनिटरिंग की जाएगी और साल भर के अंदर उसमें जो अगर कुछ कमियां हैंकुछ जोड़ने की जरूरत हैबदलती हुई टेक्नोलॉजी को उसके साथ जोड़ने की जरूरत हैउसमें बदलाव करके एक परफेक् मॉडल बना करके देश के सबसे ज्यादा स्कूलों में ले जाने का भविष् में प्रयास किया जाएगा। ये स्कूल पूरे देश में नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के लिए मॉडल स्कूल होंगे।

केंद्र सरकार इस योजना पर 27 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जिस प्रकार क्रिटिकल थिंकिंग पर फोकस किया गया हैबच्चों को अपनी ही भाषा में बेहतर शिक्षा का विजन होउसको ये स्कूल ज़मीन पर उतारेंगे। ये एक प्रकार से बाकी स्कूलों के लिए पथप्रदर्शक के रूप में काम करेंगे।

साथियों,

आजादी के अमृत महोत्सव में देश ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का संकल्प लिया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुलामी की मानसिकता से देश को बाहर निकालकर टैलेंट कोइनोवेशन को निखारने का प्रयास है। अब देखिएदेश में क्या स्थिति बनाकर रख दी गई थी। अंग्रेजी भाषा के ज्ञान को इंटेलिजेंस का पैमाना मान लिया गया था। जबकि भाषा तो सिर्फ संवाद का कम्यूनिकेशन का एक माध्यम भर है। लेकिन इतने दशकों तक भाषा एक ऐसी रुकावट बन गई थीजिसने देश के गांवों मेंगरीब परिवारों में प्रतिभा का जो भंडार थाउसका लाभ देश को नहीं मिल पाया। ना जाने कितने ही प्रतिभाशाली बच्चेदेशवासी सिर्फ इसलिए डॉक्टरइंजीनियर नहीं बन पाएक्योंकि उनको जो भाषा समझ आती थीउसमें उनको पढ़ाई का अवसर नहीं मिला। अब ये स्थिति बदली जा रही है। भारतीय भाषाओं में भी साइंसटेक्नॉलॉजीमेडिकलकी पढ़ाई का विकल्प अब विद्यार्थियों को मिलना शुरू हो गया है।

गरीब माता भी बच्चे को अंग्रेजी स्कूल में ना पढ़ा सकती होतब भी वह लड़के-लड़की को डॉक्टर बनाने का सपना देख सकती है। और उसकी मातृभाषा में भी बच्चा डॉक्टर बन सकता हैउस दिशा में हम काम कर रहे हैंजिससे गरीब के घर में भी डॉक्टर तैयार हो। गुजराती सहित अनेक भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम बनाने के लिए प्रयास चल रहे हैं। ये विकसित भारत के लिए सबके प्रयास का समय है। देश में ऐसा कोई नहीं होना चाहिएजो किसी भी कारण से छूट जाए। यही नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी की स्पिरिट है और इसी स्पिरिट को आगे बढ़ाना है।

साथियों,

शिक्षापुरातन काल से ही भारत के विकास की धुरी रही है। हम स्वभाव से ही नॉलेज केज्ञान के समर्थक रहे हैं। और इसलिए हमारे पूर्वजों ने ज्ञान-विज्ञान में पहचान बनाईसैकड़ों वर्ष पहले दुनिया की सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटीज़ बनाईंविशालतम लाइब्रेरी स्थापित की। हालांकि फिर एक दौर आयाजब आक्रांताओं ने भारत की इस संपदा को तबाह करने का अभियान छेड़ा। लेकिन शिक्षा के विषय में भारत ने अपने मजबूत इरादों को  छोड़ामजबूत आग्रह को कभी नहीं छोड़ा। जुल्म सहेलेकिन शिक्षा का रास्ता नहीं छोड़ा।

यही कारण है आज भी ज्ञान-विज्ञान की दुनिया मेंइनोवेशन में हमारी अलग पहचान है। आज़ादी के अमृतकाल में अपनी प्राचीन प्रतिष्ठा को वापस लाने का अवसर है। भारत के पास दुनिया की श्रेष्ठ नॉलेज इकोनॉमी बनने का भरपूर सामर्थ्य पड़ा हैअवसर भी इंतजार कर रहे हैं। 21वीं सदी में साइंस से जुड़ेटेक्नोलॉजी से जुड़े अधिकांश इनोवेशनअधिकांश इन्वेंशन भारत में ही होंगेऔर मैं जब कहता हूंउसका कारण मेरा मेरे देश के नौजवानों परमेरे देश के नौजवानों के टैलेंट पर मेरा भरोसा हैइसलिए ये कहने का मैं साहस कर रहा हूं।

इसमें भी गुजरात के पास बहुत बड़ा अवसर है। अभी तक गुजरात की पहचानक्या थीहम व्यापारीकारोबारी। एक जगह से माल लेते थेदूसरी जगह पर बेचते थे और बीच में दलाली से जो मिलता थाउससे रोजी-रोटी कमाते थे। उसमें से बाहर निकल कर गुजरात धीरे-धीरे मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में अपना नाम कमाने लगा है। और अब 21वीं सदी में गुजरात देश के नॉलेज हब के रूप मेंइनोवेशन हब के रूप में विकसित हो रहा है। मुझे विश्वास है कि गुजरात सरकार का Mission Schools of Excellence, इसी स्पिरिट को बुलंद करेगा।

साथियों,

मुझे इस अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आज आने का मौका मिला है। अभी एक घंटे पहले मैं देश की रक्षा शक्ति वाले कार्यक्रम से जुड़ा थाघंटे भर के बाद देश कीगुजरात की ज्ञान शक्ति के इस कार्यक्रम में जुड़ने का अवसर मिला है। और यहां से अभी जा रहा हूं जूनागढ़फिर राजकोटवहां समृद्धि के क्षेत्र को छूने का मुझे प्रयास करने का अवसर मिलेगा।