जेपी दलाल जी हरियाणा के कृषि मंत्री जब उन्होंने मुझे निमंत्रण दिया तो साधारण नहीं था, उनका बड़ा मन था कि मैं वहां आकार देखूं क्यों हरियाणा के किसान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हैं, ऐसा आपने कहा और जो कहा और जितना नापा और उतना ही फाड़ा, बिल्कुल वैसा ही मैंने पाया। बहुत ज्यादा नहीं देख पाया क्योंकि वहां पूरा दिन चाहिए था, अगली बार जब मेला होगा सुबह से शाम तक वहीं रहूंगा। कुछ सम्मानित व्यक्तियों से जब बात की तो बहुत खुश हो गया एक ने कहा मेरी डेयरी है, मैंने कहा कैसे करते हो, कहने लगा सरकारी सहायता बड़ी आसानी से मिल रही है, मुझे बहुत अच्छा लगा।
श्री विजेंद्र कुमार जी, आईएएस के वरिष्ठ अधिकारी हैं, और आपका, हरियाणा सरकार का सौभाग्य है क्योंकि जो वक्तव्य मैंने इनका सुना है जो इनकी सोच है वह आपके जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाली है। यह बड़े प्रयासरत हैं आपके सामने जितने अधिकारी आते हैं वह सब आपके मातहत हैं और यह अपने विभाग को दिल और दिमाग से सींच रहे हैं इसका असर हरियाणा की सरकार पर पड़ेगा और आप पर निश्चित रूप से पड़ेगा।
श्री नरहरि सिंह जी बांगर, ये डॉ. हैं, जब से मेरी धर्मपत्नी को पीएचडी मिली है तब से किसी को भी डॉ. लगाना भूलता नहीं हूं क्योंकि एक बार भूल गए तो डॉ. नाराज हो जाता है। डॉ. नरहरि सिंह जी बांगर जी यह डायरेक्टर हैं, डायरेक्टर का भी बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है जो प्रिंसिपल सेक्रेटरी सोचता है उसकी सोच को जमीनी हकीकत बनाते हैं।
मुझे बड़ी खुशी है कि आज आप लोगों ने समय निकाला और मुझे आशीर्वाद देने के लिए समय निकाला। आज दुनिया भर के, संसद के सभापति और जी20 वाले अपने देश में हैं। आप पार्लियामेंट में उस दिन आए हो जो एक ऐतिहासिक दिवस है। यह दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत है। इस पंचायत में आज सही हकदार आया है। इस पंचायत में आपकी चर्चा होनी चाहिए। आपका विवेचन होना चाहिए आपके सुख दुख की बात होनी चाहिए उस जगह आप बैठे हो, ये मेरे लिए बड़ी खुशी की बात है।
यह मेरे लिए बड़ी प्रसन्नता की बात है बहुत आनंद आया। जब प्रधानमंत्री जी ने राज्यसभा में मेरा परिचय कृषक पुत्र के नाते कराया। उपराष्ट्रपति के नाते पूरे देश में, मैं उन संस्थानों में जरूर गया हूं जो किसान से जुड़ी हुई हैं। जिनको सम्मानित किया गया है उनको मैं हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं, वह प्रेरणा के स्रोत हैं, लोगों को उनका अनुकरण करना चाहिए। कुछ से बात की तो कितना अच्छा लगा कि मैं मेरे उत्पाद का खुद मार्केट करता हूं, मैंने कहा कैसे, बोला हम थैले में डालते हैं, थैला छोड़ आते हैं, पहले वाला ले आते हैं। वहां तो मैंने सांकेतिक बात कही थी और ज्यादा लोग थे, जब ज्यादा लोग होते हैं तब बात का असर थोड़ा कम हो जाता है, यह बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रुप है आप में से हर एक, हरित क्रांति का जनक है। आपसे मैं तीन बातें खास तौर पर कहना चाहता हूं।
पहले किसान होना गर्व की बात है, इससे हम थोड़ा दूर है रहे हैं, हमें लग रहा है कोई ज्यादा पढ़ लिख गया इंजीनियरिंग कर ली डॉक्टरी कर ली आईआईटी से पास हो गया, आईआईएम से पास हो गया तो खेती कैसे करें। मैंने वहां उदाहरण दिया था कि बड़े अधिकारी मोटी-मोटी तनखा पाने वाले आईआईटियन, आईआईएम के, कृषि व्यापार में आ रहे हैं, वह दूध का व्यापार कर रहे हैं, वह सब्जी का व्यापार कर रहे, वह आपके उत्पादों का व्यापार कर रहे हैं। और जो दैनिक आवश्यकता है, आज के दिन सबसे बड़ी चिंता व्यक्ति को क्या है कि जो मैं खा रहा हूं, जिस पर मेरा शरीर निर्भर है, पहला सुख निरोगी काया, जो निरोगी काया का आधार है वह आहार कितना शुद्ध है, उसमें मिलावट तो नहीं है, यह बहुत बड़ा व्यापार है, और यही कारण है कि आज के दिन प्रबुद्ध वर्ग, शिक्षित वर्ग, व्यापारी वर्ग दूध का व्यापार करता है, सब्जी का व्यापार करता है कृषि उत्पादों का व्यापार करता है।
किसान और किसान के बच्चों और बच्चियों को इसमें आगे आना चाहिए नए-नए तरीके अपनाने चाहिए। बताइए दूध का व्यापार हो पर सबसे ज्यादा सलीके से करने की कुब्बत यदि किसी में है तो किसान के बेटे बेटी में है। हमें व्यापारियों से सीखना चाहिए, हर गांव में आप व्यापारियों को देखिए उसका बच्चा पड़ता है, स्कूल जाता है, कॉलेज जाता है, पर दुकान पर जरूर बैठता है। कितनी बड़ी बात है, कितनी बड़ी सोच है की दुकान पर बैठेगा 2 घंटे भी तो उसको ज्ञान मिलेगा इसको सोच मिलेगी।
अब दूध सब्जी का व्यापार यदि अगर किसान और किसान के परिवार के लोग करेंगे तो आर्थिक रूप से बड़ा बदलाव आएगा और शुद्धता की अल्टीमेट सर्टिफिकेट है। किसान न क्वालिटी में गड़बड़ करता है ना क्वांटिटी में गड़बड़ करता है, तो थोड़ा सा आपको सोचने की आवश्यकता है कि मैं यह काम कर रहा हूं तो यह बहुत सम्मानजनक है।
हर तहसील के अंदर बड़ी से बड़ी डेयरी होनी चाहिए, निश्चित रूप से होनी चाहिए। उसमें तकनीक का उपयोग होना चाहिए। एक ने बताया कि उसकी डेयरी थी, आज के दिन तकनीक का उपयोग करोगे तो आपका उत्पाद, आपका दूध, आगे वाले तक सही पहुंचेगा।
अब दूध की बात ले लीजिए, दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार दूध पर आधारित है। दूध के कितने प्रोडक्ट बनते हैं, पर किसान नहीं बना रहा है सोचिए क्यों किसान अपनी अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए एक समूह बनाकर क्यों ऐसा नहीं करे कि दूध छाछ, दही, पनीर और इसके बाद रस्ता खुल जाएगा, उत्पाद जुड़ते जाएंगे गांव के नाम से ब्रांडिंग हो सकती है, अपनी सोच के अनुसार ब्रांडिंग हो सकती है और इनकी खपत के लिए आपको बहुत दूर जाने के लिए आवश्यकता नहीं है आस पास भी हो जायेगा। मैं आप लोगों को प्रेरित करता हूं और यह बहुत गंभीरता से कह रहा हूं भारत के प्रधानमंत्री के दिल और दिमाग पर किसान हावी है किसान के लिए जो नीतियां निर्धारित की गई है उनका मैं अध्ययन किया है।
माननीय विप्लव देव जी त्रिपुरा के 4 साल से ज्यादा मुख्यमंत्री रहे अब राज्यसभा के सांसद हैं पर यह इनका सही परिचय नहीं इनका सही परिचय यह है कि किसान के नाम से और किसान के हित के लिए इनका दिल धड़कता है। और राज्यसभा में मेरे कक्ष में इन्होंने जितनी बातें की हैं 50% किसान आधारित की है। इस स्वास्थ्य को लेकर इस उमर को लेकर उनकी प्रतिभा जो जनता ने आज तक देखी है मैं मान कर चलता हूं यह किसान के सच्चे सेवक हैं। ही विल टर्न आउट टू बी मोस्ट इफेक्टिव फुट सोल्जर ऑफ द फार्मर। और आप और हम सब किसान हैं।
तो मैं यह कह रहा था कि इस व्यापार में यदि हम बड़े तो बहुत बड़ी क्रांति आएगी। अब उसमें बढ़ना बहुत आसान है। दूध घर में होता है, मल्टीप्लाई करना दस गाय हो बीस गाय हों पचास गाय हों अपनी सामर्थ के हिसाब से कर सकता है। आजकल पैकिंग बहुत अच्छी हो गई है, इकोफ्रेंडली हो गई है, लोगों को विश्वास होता है उसके अंदर। यदि अगर आप और माननीय प्रधान सचिव को मैं आग्रह करूंगा कि सोशल मीडिया के ऊपर वो श्रेषतम जो देयरी हैं उनमें टेक्नोलॉजी का कैसे उपयोग करते हैं कैसे चारा खिलाते हैं, कैसे पशु को पानी पिलाते हैं, कैसे पशु की एक्सरसाइज होती है, कैसे दूध निकाला जाता है, कैसे बीमार होता है तो इलाज किया जाता है, वह डालेंगे तो बहुत बड़ा ज्ञान होगा, इस पर ध्यान दीजिए।
सब्जी का…. थोड़ा सा दिमाग लगाइए जब प्याज से लोगों को आंसू आ रहे थे ना और तब प्याज की कीमत बढ़ रही थी तो जो बड़े-बड़े होटल हैं उसका मेनू कार्ड बदल गया। प्याज की सलाद, प्याज का सूप, प्याज की सब्जी, आपको भी यह बातें देखनी है। आप एक लकीर के फकीर मत होइए कि हमारे यहां तो गाजर मूली होगी, आलू प्याज होगा थोड़ा सा वह भी देखिए कि जो हम पैदा कर सकते हैं।
सरकार ने बहुत क्रांतिकारी कदम उठाया है बड़े खर्चे के बाद उठाया है कि किसान को उसकी मिट्टी की जानकारी देते हैं शुरू में लगता है कि इसका मतलब क्या है लेकिन जब आप सोचोगे आर्थिक दृष्टि से इसका बहुत बड़ा मतलब है। तो प्लीज डायवर्सिफाई दिमाग लगाइए कि मैं और क्या कर सकता हूं और केंद्र सरकार की बहुत अच्छी स्कीम है की कुछ किसान यदि इकट्ठे होते हैं तो मोटी सहायता देते हैं वह 15 करोड़ तक की सहायता देते हैं। आप मिलकर यह कम कीजिए कि एक बात।
वैल्यू ऐड करना, किसान पनीर कैसे बनाएं, आसान है, कोई करिश्मा नहीं है जो पनीर बनाते हैं, ठीक हो जाएगा। दूसरा सब्जियों का मैंने कहा अब रही बात सबसे महत्वपूर्ण गेहूं दाल चावल पैदा करते हैं और हम बेच देते हैं और बेचते उसे समय है जब सभी बेचते हैं जब सभी बेचते हैं तो खरीदने वाले का मार्केट है इस पर थोड़ा दिमाग लगाइए किसान खुद उनकी ट्रेडिंग क्यों नहीं करें।,किसान खुद इनका व्यापार क्यों नहीं करें, इस व्यापार में असीम संभावनाएं हैं।
किसी भी छोटे शहर में चले जाइए, बड़े शहर में चले जाइए सबसे बड़ा व्यापारी वह मिलेगा आपको जो कृषि उत्पादों का व्यापार करता है। वह जमाना गया जबकि पैसे के लिए आपको किसी व्यक्ति के पास जाना पड़ता था। आजकल ऐसा नहीं है, संस्थागत तरीके से आपको पैसा उपलब्ध है। दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार एग्रीकल्चर प्रोड्यूस का है, आप यह कीजिए इसमें दिमाग लगाइए। आप नौकर मत बनने की सोचिए, लोगों को नौकरी देने की सोचिए। जब ऐसे व्यापार में आप जाओगे तो आपके यहां चार्टर्ड अकाउंटेंट नौकरी करेगा, आपके यहां मैनेजमेंट के लोग मदद करेंगे। यह थोड़ा सा सोच के बात कर पाओगे, यह व्यापार है।
तीसरी बात, रोजाना की चीज देख लो, खाने का तेल है, सर पर लगाने का तेल है, मालिश करने का तेल है, कहां से , किसान के उत्पादों से है, सरसों किसान पैदा करता है, उसका सरसों के तेल से लगाव क्यों नहीं है। हमारी पुरानी संस्कृति में हम घानी रखते थे। गांव के अंदर निकाल कर लोग काम करते थे। आपके बच्चे इस व्यापार में पढ़ेंगे तो आपको जो मैटेरियल है, रा मटेरियल, जो किसी भी उद्योग के लिए सबसे महत्वपूर्ण है, मैटेरियल की वजह से लोग इकट्ठा करते रहते हैं, आपके तो खून में ही यह बात है। आपको यह इकट्ठा करने में दिक्कत नहीं आएगी, गांव एक क्लस्टर बन सकता है। यह जब करेंगे तो बड़ी जबरदस्त क्रांति बदलाव आएगा।
मैं जो आज आपको कह रहा हूं यह सोच चौधरी चरण सिंह जी का था वह कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने। अब इस सोच को जमीनी हकीकत भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दे रहे हैं। इसका मैं कारण बताता हूं वह किसान को सहायता देते हैं साल में तीन बार, चाहे किसी भी स्तर का किसान हो और पीएम किसान निधि के तहत दो लाख पचास हजार करोड़ की सहायता मिल गई, वह एक बात है, पर गांव का बदलाव देखिए आप भी की सोच देखिए पहले हर घर में टॉयलेट, इसका सबसे ज्यादा असर कहां पड़ा है ग्रामीण व्यवस्था पर पड़ा है हमारे परिवार के अंदर एक नई व्यवस्था पैदा हुई है कि हर घर में शौचालय। क्यों इतने पैसे खर्च करके हर गांव में इंटरनेट कोई सोच सकता है कि इंटरनेट होने से कि आपका जीवन कितना सुलभ हो गया है।
देखिए आज के दिन बड़ी कंपनियों को देख लो जो टैक्सी हैं उनके पास ना तो टैक्सी है ना ड्राइवर है उनके पास दिमाग है उसे प्लेटफार्म से ही पूरा व्यापार करते हैं। अपने बच्चे बच्चियों बहुत प्रतिभाशाली हैं जहां भी जाते हैं बड़ा नाम कमाते हैं पर वह उस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं जो पूंजी हमारी है, जो पूंजी सदा हमारे रहेगी, उस पूंजी का विकास करना है, उस पूंजी से आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करना है तो कृषि से जुड़े हुए उद्योग जो हैं उनमें किस को बहुत आगे तक जाना चाहिए। और मैं मन कर चलता हूं कि यदि आप ध्यान दोगे तो कहते हैं ना खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है, एक-दो सफल हो जाएंगे दूसरा उसको फॉलो करेगा।
मैं जैसलमेर, बाड़मेर गया दंग रह गया जिस इलाके में कुछ नहीं होता था वहां किसान ने सोना पैदा कर दिया, अब मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आलू से सोना पैदा होता है। मैं सीधी बात कह रहा हूं बात को कहने के लिए कि सोना पैदा कर दिया वहां अनार का व्यापार 200 करोड़ से ज्यादा है खजूर का जीरे का यह ऐसी बातें हैं जब प्रधानमंत्री जी ने हल्दी बोर्ड का गठन किया तो लोगों को लगा यह क्या है, बहुत बड़ा है, हल्दी बोर्ड का मतलब है एक ओर हम ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
आप देखिए ब्रांडिंग कितनी आसानी से व्यापारी करता है हमें उनसे सीखना है हमारी मूंगफली की ब्रांडिंग होनी चाहिए इस ओर हमें अग्रसर होना है अपने इलाके में आप देखोगे पूरे देश भर में तो इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च की संस्थाएं मिलेगी, कृषि विज्ञान केंद्र मिलेंगे, पर कहते हैं ना वह उतना ही काम करेंगे जितना कम आप उनसे कराओगे तो मैं आपको बहुत शुभकामनाएं देता हूं, मेरे लिए बहुत ही आत्म सिद्धि का दिन है आज का न भूलने वाला दिन है आज क्योंकि किसान इस महान देश भारत की अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी हैं जब कहते हैं ना कि जय जवान जय किसान तो प्रधानमंत्री जी ने बहुत सोच कर इसमें अनुसंधान जोड़ा, क्योंकि किसान यदि अनुसंधान में पड़ेगा तो बदलाव व्यापक रूप से आएगा। मैं आपको यही कह सकता हूं, यहां आप इनविटेशन पर नहीं आए हैं, यह आपका हक है, मैं तो सिर्फ माध्यम बना हूं। यह एक बदलाव का केंद्र है, यह बदलाव का सूचक है, पर इन बातों का यदि आप क्रियान्वित नहीं करेंगे तो आगे नहीं बढ़ेंगे।
मैं अक्सर बच्चों को कहता हूं यूनिवर्सिटीज में कहीं भी कि आपके बच्चे में मन में बहुत अच्छा विचार आ गया कि उसे विचार को आप एक्जिक्यूट नहीं करते हो तो आप मानवता के साथ खिलवाड़ करते हो। आप में हर एक ने दिल और दिमाग से मन से कृषि के अंदर एक नया आयाम प्राप्त किया है आपको संतोष मिला है कि मैं खेती करता हूं मैं एक उत्पाद पैदा करता हूं और मैं उसको बेचता हूं और मेरी माली हालत उससे सुधर रही है,वही मत रुकिए ए।
आपके सामने घर में जब इतनी अपार संभावनाएं हैं तो नजर इधर-उधर मत फैलाइए।
अंतिम बात, मैंने कह दिया सब्जी का क्या करें दूध का क्या करें इसमें वैल्यू ऐड करें हमारे जो व्यापार में है उसमें उचित स्थान ग्रहण करें उसमें भी वैल्यू ऐड करना चाहिए तेल बने और कोई उत्पाद बने,
तीसरी बात, निर्यात, आजकल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बहुत अच्छा साधन है क्योंकि दुनिया का हर कोना जो ज्यादा संपन्न है, वह अच्छा दूध चाहता है, अच्छी सब्जी चाहता है, अच्छे गेहूं चाहता है, अच्छे चावल चाहता है, अच्छी दाल चाहता है और यहां से निर्यात भी होती है और निर्यात होती है उन देशों में जहां यह चीज होती नहीं है उनके लिए आवश्यक है। अपने बच्चे बच्चियों को निर्यात में डालिए कि कृषि से जुड़े हुए जितने भी उत्पाद हैं उनके निर्यात में हम निर्णायक भूमिका निभाएं। ऐसा करने से फिर आपको पता लगेगा कि एक तो आत्म संतोष मिलेगा कि हम सही रास्ते पर हैं।
एक छोटी सी बात कह कर मैं मेरी बात खत्म करूंगा व्यापारी जन्म से अपने बच्चों को संस्कृति सिखाता है कि बेटा दुकान पर बैठ, जो आदमी खरीदने आए उससे कैसे बात करनी है, कैसे नापना है, कैसे तौलना है यह सब सिखाता है, पर आप किसी की भी व्यापारी के पास चले जाइए जब मंदी होती है ना तब पूरा समाज एक साथ कहता है मंदी है उनको कोई दिक्कत नहीं होती है वह वस्तु स्थिति को समझते हैं हमारे लिए प्रेरणा होनी चाहिए हमें कोई कहे किसान को कोई कहे कि आजकल तो तुम्हारी हालत थोड़ी कमजोर है तो उल्टा कहेगा कि मेरी नहीं तेरी कमजोर है। हमें ये सोच बदलनी पड़ेगी।
बहुत-बहुत शुभकामनाएं! आपने हमें यह शुभ अवसर दिया है इसको सदा याद रखूंगा पूरा जुड़वा रहेगा किसी को भी, कोई स्कीम की जानकारी लेनी है उपराष्ट्रपति निवास पर मेल भेज देना, एक सेक्शन बना दूंगा कि किसान कृषि के बारे में कुछ भी जानकारी लेना चाहेगा उसका सीधा संवाद होगा, उसको राय दी जाएगी
बहुत-बहुत धन्यवाद! अब मिलते हैं भोजन पर