तुम इज़ाज़त दो अगर, फिर दुनिया से लड़ूं,
मैं अपने ख्वाबों की राह पर मुझको आगे बढ़ने दो।
तुम्हारी नज़रें मेरे साथ हो,
मेरी धड़कन में तुम्हारी वेअदबी हो,
ज़िन्दगी की राहों में तुम्हारी मुस्कान का साया हो।
तुम इज़ाज़त दो अगर, मैं अपने सपनों को जियूं,
जो भी हो दुनिया की राय, मैं उससे ग़ाफिल हो जाऊं।
हर साँस, हर तारीफ़ तुम्हारे लिए हो,
मैं अपने इरादों को पूरा करने का ज़ज्बा रखूं,
तुम इज़ाज़त दो अगर, मैं अपने ख्वाबों में खो जाऊं।
By:- P. Dishu Gangwar, Research Scholar