Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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दुर्गा पूजा : एक पर्व, एक परम्परा Durga Puja

*दुर्गा पूजा : एक पर्व, एक परम्परा*

दुर्गा पूजा, हिंदू समाज का एक महत्वपूर्ण त्योहार, जो माता दुर्गा की आराधना और उनकी शक्ति को मनाने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवरात्रि में मनाया जाता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है।

*माता दुर्गा की महिमा*

माता दुर्गा की कथा पुराणों में वर्णित है, जो उनकी शक्ति और महिमा को दर्शाती है। महिषासुर नामक एक शक्तिशाली असुर ने देवताओं को पराजित कर दिया था, लेकिन माता दुर्गा ने उसे युद्ध में पराजित कर दिया और देवताओं की विजय हुई।

*दुर्गा पूजा की तैयारी*

दुर्गा पूजा की तैयारी कई दिनों पहले से शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों को साफ-सुथरा कर देते हैं और माता दुर्गा की मूर्ति स्थापित करते हैं। मूर्ति को विभिन्न फूलों, पत्तियों, और अन्य सजावटी वस्तुओं से सजाया जाता है।

*दुर्गा पूजा के दिन*

दुर्गा पूजा के दिन, लोग माता दुर्गा की पूजा करते हैं और उन्हें विभिन्न भोग और उपहार चढ़ाते हैं। पूजा के बाद, लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर भोज करते हैं और माता दुर्गा की कथा सुनते हैं।

*दुर्गा पूजा का महत्व*

दुर्गा पूजा का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। यह पर्व लोगों को एकजुट करता है और उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं के बारे में जागरूक करता है।

*निष्कर्ष*

दुर्गा पूजा एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो माता दुर्गा की शक्ति और उनकी आराधना को मनाने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व लोगों को एकजुट करता है और उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं के बारे में जागरूक करता है।