देखे हुए सपने क्यों टूट जाते हैं
दिल में है दर्द इतना कि बता नहीं सकते
ग़म है पर हम तो रहते हैं हंसते
आँखों में ही आंसू सब सूख जाते हैं
अपने ना...
दुनिया में है महफ़िल पर दिल में है तन्हाई
हम पी रहे ग़म, उनके घर शहनाई
रेत पे लिखी कहानी तो यूँ ही मिट जाते है
अपने ना...
दिखे हैं वही, जाएँ तो फिर हम जाएँ किस जगह
भुलाए न भूले, चाहते हैं क्यों किस वजह
सपनों के शहर में दीवाने क्यों लुट जाते हैं
अपने ना...
शशिकांत निशांत शर्मा 'साहिल'