Sahitya Samhita

Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695

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कबीर दास: एक महान संत और कवि Kabir Das


कबीर दास एक महान संत, कवि और समाज सुधारक थे, जिनका जन्म 15वीं शताब्दी में वर्तमान उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। उनके जीवन और कार्यों ने भारतीय संस्कृति और साहित्य पर गहरा प्रभाव डाला।

जन्म और जीवन

कबीर दास का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने जीवन को हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के बीच एकता और सद्भावना के लिए समर्पित किया। उनके पिता का नाम अली और माता का नाम जगदानी था।

कबीर दास ने अपनी शिक्षा वाराणसी में प्राप्त की और बाद में उन्होंने संत रामानंद के शिष्य बनकर आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया।

काव्य और दर्शन

कबीर दास की कविताओं में भक्ति, अध्यात्म और सामाजिक न्याय की भावना भरी हुई है। उनकी कविताओं में वे लोगों को सत्य, अहिंसा और एकता का संदेश देते हैं।

कबीर दास के कुछ प्रसिद्ध दोहे हैं:

- "चलती चाकी देखकर, दिया कबीर रोए"
- "तेरा क्या है कि तू कागज़ की लेखी, मेरा क्या है कि मैं खाक में लिखी"
- "जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान"

कबीर दास का संदेश

कबीर दास का संदेश आज भी प्रासंगिक है। वे लोगों को कहते हैं:

- धर्म के नाम पर भेदभाव न करें
- सत्य और अहिंसा का पालन करें
- एकता और सद्भावना को बढ़ावा दें
- ज्ञान और शिक्षा को महत्व दें

निष्कर्ष

कबीर दास एक महान संत और कवि थे, जिनका जीवन और कार्य भारतीय संस्कृति और साहित्य को समृद्ध बनाता है। उनका संदेश आज भी हमें प्रेरित करता है और हमें एक बेहतर समाज बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करता है।