Sahitya Samhita Journal ISSN 2454-2695
तुलसीदासजी को जब एक बार भयानक पीड़ा का सामना करना पड़ा था, तब उन्होंने इस शीघ्र फलदायक चमत्कारिक स्तोत्र श्री हनुमान बाहुक की रचना करी थी । श्रीगणेशा…