अपने ना जाने कब क्यों रूठ जाते हैं देखे हुए सपने क्यों टूट जाते हैं दिल में है दर्द इतना कि बता नहीं सकते ग़म है पर हम तो रहते हैं हंसते आँख…
Read moreBy P. Dishu Gangwar , जिन्दगी है उलझनों का, एक कुशादा, कुछ नही है मैं से हम तक का सफर है, हम से ज्यादा कुछ नहीं है । दृढ़ अगर संकल्प है फिर , पथ की…
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